Friday, July 6, 2012
DOE admission criteria circular dated 28/05/2012 uncontitutional
To,
06 July 2012
The Director of Education,
Government of NCT of Delhi,
Old Secretariat building,
Civil lines,
Delhi -110054.
Subject –Withdraw DOE admission criteria circular dated 28/05/2012 in regard to admission in Class XI in Science and Commerce streams adversely affecting 26,000 students
Dear Sir,
We are shocked to see your admission criteria circular dated 28/05/2012 regarding admission in class XI in Govt. /Govt. aided schools in Delhi in Science and Commerce streams in the academic year 2012-13 which has resulted in depriving as many as 26,000 students of admission in these streams, though they were eligible for the same in the last year admission criteria.
The said circular dated 28/05/2012 is totally arbitrary, discriminatory, unconstitutional, illegal and bad in law. The admission criteria laid down in Directorate of Education circular dated 28/05/2012 in regard to admission of students in Class XI in Science and Commerce streams is not based on any rational consideration and is contrary to the object underlying therein. Such criteria is also against public interest and opposed to public policy.
The admission criteria in the year 2010-11 and 2011-12 in Class XI in Science and Commerce stream has been changed for the current year 2012-13 adversely to the interest of students and also without any valid reason. The same is also not based on any valid and rational policy decision of Government of India, Ministry of Human Resource Development.
In regards to Science stream, a candidate having CGPA 6 was eligible previous year but now minimum CGPA 7 is required. In addition to CGPA difference, a student needed overall grade C1 in total and individually in subjects English, Mathematics and Science earlier, but now it is mandatory to obtain minimum grade B2 in English, Science and Mathematics individually to be eligible in Science stream. In regards to Commerce stream a candidate having CGPA 5 was eligible previous year but now as per present criteria minimum CGPA 6.6 (with mathematics) and 6 (without mathematics) is required. In addition to, CGPA difference a student needed overall grade C2 in total and individually C2 in subjects English and Social Science and C1 in Mathematics but now it
is mandatory to obtain minimum grade C1 in English and Social Science and B2 in Mathematics to be eligible in Commerce stream. There is also some change in criteria for the change of Humanities stream where atleast CGPA 6 is needed to get Economics as a subject.
Last year, based on the earlier admission criteria, nearly 15000 students got admission in Science stream but now, based on current revised criteria, not more than 5200 students will get admission in Science stream. Similarly, last year, based on the earlier criteria, nearly 36000 students got admission in Commerce stream but now, based on current revised criteria, not more than 20000 students will get admission in Commerce stream.
It is submitted that Science stream is not available in all Government Schools. The numbers of Government Schools with Science stream have been reduced in comparison to the status of 2008-09. It appears that the Government is adhering a policy of totally eliminating Science stream in schools.
The admission criteria for the 2012-13 for Commerce and Science streams is such that even formation of Sections based on the same in the schools has become difficult. It is resulting in forcing students to opt for either Humanities stream or take admission in Patrachar Vidyalaya. It appears that the intention of Government behind such arbitrary criteria is only to promote education through Patrachar Vidyalaya instead of through regular schools. The students who even get Science stream have to travel 6-8 Km distance for attending the school. Moreover, in many schools the Commerce and Science stream have been introduced only on papers and the required teachers have not been posted there.
It is, therefore, requested to forthwith withdraw your admission criteria circular dated 28/05/2012 and permit students to get admission in Commerce/Science streams based on the previous criteria of 2010-11.
With regards
Sd/-
Kusum Sharma, Advocate
President, Social Jurist
M-09818026552
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1 comment:
बचपन में सुनते आये थे की बच्चे राष्ट्र की धरोवर ओर ये हे राष्ट्र के भावी भविष्य होते हैं ये राष्ट्र के निर्माता होते हैं. क्योंकि इन में से ही कोनसा ऐसा नोनिहाल निकल आये जो कल को देश का राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मंत्री, बने ओर देश का नेतृत्व करे. यही बच्चे बड़े होकर कोई सैनिक, अफसर, डाक्टर, वकील, पत्रकार, लेखक ,कलेक्टर मिनिस्ट्री में सचिव बनकर राष्ट्र की सेवा करते हैं. लेकिन आज हम बच्चो के साथ कैसा न्याय कर रहे हैं ?. मेरा बेटा विशाल शर्मा सर्वोदय विद्यालय शारदा निकेतन सरस्वती विहार दिल्ली के स्कूल में दसवी में पास हुआ उसके 72 % मार्क्स आये लेकिन मैथ में सी -१ ग्रेड आने से उसे कामर्स सब्जेक्ट नहीं मिल रहा. जबकि वो अपने बड़े भाई आकाश शर्मा जो वर्ष २००९-१० में इसी स्कूल में १२वी में प्रथम आया था की तरह सी ए करना चाहता है.. यदि एक स्टुडेंट की किसी सब्जेक्ट में प्रोफोर्मंस कम है तो क्या हम उसे उसे उसके हाल पर छोड़ दें. क्या हमारा कोई फर्ज़ नहीं बनता की हम कमजोर स्टुडेंट की मदद करके उसे अच्छे मार्क्स लाने में मदद करें. ज्यादा से ज्यादा कोईना कोई ऐसा प्रावधान भी होना चाहिए की बच्चे से लिखित में एक शपथ पत्र ले लें की यदि फस्ट टर्म में उसके मार्क्स मैथ में सही नहीं आये तो उससे कामर्स सब्जेक्ट छीन लिया जायेगा. आखिर सरकार की हम सबकी बच्चो के प्रति कुछ नैतिक जिम्मेदारी बनती होगी. क्या यही आधुनिक शिक्षा नीति है. क्या शिक्षा नीति सिर्फ सरकारी स्कूलों पर ही लागू होती हाई प्राइवेट स्कूलों पर नहीं. वहाँ तो ४८% वाले स्टुडेंट को भी कामर्स मिल रही है ओर कोई अन्य कंडीशन नहीं है
क्या हमारी जिम्मेदारी सिर्फ स्डुलकास्ट, विकलांग स्टुडेंट तक ही बनती है. इस देश में करोड़ों बच्चे ऐसे हैं जो साधनहीन हैं .जिनके पास पढने के लिये किताबें कपिया नहीं हैं. वर्दी नहीं है . आर्थिक रूप से कमजोर हैं क्या उनके लिये हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती. कुछ बच्चे पढने में फिस्सडी भी हो सकते हैं क्या हम उनको आगे बढ़ने में उनकी मदद नहीं कर सकते. अगर किसी स्टुडेंट की किसी सब्जेक्ट में नम्बर कम आ गए तो क्या हमें उस पर दया , करुना नहीं दिखानी चाहिए ,उसे समझाना नहीं चाहिए,उसे आगे बढ़ने में मदद नहीं करनी चाहिए. कहीं हम बच्चो के प्रति उदारता ना दिखाकर हम उन्हें क्रूर,दयाहीन, देशद्रोही बनने पर मजबूर तो नहीं कर रहे. सवाल सिर्फ मेरे बच्चे का नहीं बल्कि लाखो ऐसे बच्चे हो सकते हैं जिनके माता पिता संपन्न नहीं हैं जो प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चो को नहीं पढ़ा सकते ओर वे शिक्षित भी नहीं हैं. वो आखिर किसका दरवाजा खटखटाएं. जबसे मेरे बेटे को पता चला है की उसे कामर्स नहीं मिलेगी तब से वो कितनी आन्तरिक पीड़ा से गुजर रहा है वो शायद शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता उसका रो रो कर बुरा हाल है. एक गलती की कितनी बड़ी सजा उसे दी जा रही है. उसे एक तरह से फांसी पर लटकाया जा रहा है . उसके करिअर के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है . में अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा नहीं सकता क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है. दिल्ली सरकार/केंद्र सरकार की नीतिओ की वजह से लाखो विद्यार्थियो का भविष्य अंधकारमय हो चुका है. हमें बच्चो के प्रति लचीला रुख अपनाना चाहिए ना की सख्त . सरकार को अपनी शिक्षा नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए ओर ये कन्डीशन हटानी चाहिए की की फला सब्जेक्ट में इतने नम्बर होंगे तो इस सब्जेक्ट में दाखिला मिलेगा नहीं तो नहीं. जो स्टुडेंट काबिल होगा वो आगे बढेगा ओर हमें भी कमजोर की मदद करनी होगी चाहे एक्स्ट्रा क्लास लगाकर. ये हमारा राष्ट्रीय दायित्व होना चाहिए. मैंने अब कई प्राइवेट स्कूलों में ट्राई किया तो २५००-३००० से नीचे फीस नहीं है ओर २५०००-५०००० तक डोनेशन मांग रहे हैं. क्या मेरे जैसा प्राइवेट नोकरी करने वाला व्यक्ति इतना बोझ सहन कर पायेगा.
चन्द्र प्रकाश शर्मा
3128 , रानी बाग़ दिल्ली -110034
फोन: 9560883216 .
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