छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद स्कूलों ने फीस बढ़ा दी थी और कहा था कि उन्हें टीचरों की पेमेंट आदि के कारण अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, लिहाजा फीस बढ़ानी होगी। इसके बाद सोशल जूरिस्ट की ओर से एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई है। हाई कोर्ट ने अगस्त, 2011 में कमिटी का गठन किया और आदेश दिया कि स्कूलों के अकाउंट का ऑडिट किया जाए ताकि यह पता चले कि कितनी फीस बढ़ानी जरूरी है।
Navbharat Times - 06 Dec-2014 - Page-7
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