राजधानी ही नहीं अन्य जगहों पर भी शिक्षा का व्यापारीकरण हो रहा है। अभिभावकों के सामने विकल्प नहीं है। फीस के नियंत्रण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल, 2004 को निर्णय दिया था कि शिक्षा निदेशालय चाहे तो स्कूलों को अधिक फीस वसूलने से रोक सकता है। यह नियम गैर अल्पसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों स्कूलों पर लागू होता है। दाखिला प्रक्रिया से लेकर फीस चुकाने तक की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। अभिभावकों को इसके लिए आगे आना चाहिए।
- अशोक अग्रवाल (अध्यक्ष, आल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन)
दैनिक जागरण - 26 दिसम्बर 2014 - पेज 6
No comments:
Post a Comment