सोशल जूरिस्ट एसोसिशन के संयोजक अशोक अग्रवाल ने कहा कि दरअसल राइट टू एजुकेशन के तहत मैनेजमेंट कोटे का प्रावधान हीं नहीं है। इसको लेकर स्कूल कई बार कोर्ट में गये लेकिन राहत नहीं मिली। लिहाजा स्कूलों को तय प्वाइंट्स सिस्टम के तहत ही दाखिले करने पड़े, जिसमें सबसे आसानी से दाखिले सिबलिंग वालों के हुए। जबकि बाकी को ड्रॉ में आना पड़ा और ड्रॉ में कई बच्चों को दाखिला नहीं मिल पाया।
राष्ट्रीय सहारा दिल्ली, 19 सितम्बर 2014, पेज - 7
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