Tuesday, October 14, 2014


सोशल ज्युरिस्ट एनजीओ के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि 17 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सभी बच्चों को दाखिला देने का निर्देश दिया था। खंडपीठ ने चेतावनी भी दी थी कि यदि बच्चे एडमिशन के लिए आए तो संबंधित स्कूल कार्रवाई के लिए तैयार रहें। इसके बावजूद अभी तक बच्चों को दाखिला नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि मयूर विहार के पास यमुना खादर में रहने वाले 6 से 14 आयु वर्ग के 81 बच्चों के पास रिहायशी प्रमाणपत्र नहीं है। सरकारी स्कूल में इसी आधार पर उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया था। शिक्षा के कानून के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चे निशुल्क और जरूरी शिक्षा पाने के हकदार हैं। उनको दाखिला न देकर कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। इसी आधार पर खंडपीठ ने दाखिले का निर्देश दिया था। ऐसे में आदेश का पालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जाए।

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