Saturday, October 11, 2014


इस तरह के मामलों में कई याचिकाएं और मुकदमे दायर करनेवाले दिल्ली हाई कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल मानते हैं कि भारत में शिक्षा के अधिकार के बाद अब स्वास्थ्य का अधिकार (राइट टू हेल्थ) अधिनियम को लाने की जरूरत है. अफसोस की बात है कि एक गरीब आदमी को इलाज के लिए कभी मुख्यमंत्री तो कभी प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. अग्रवाल के मुताबिक इस मामले में राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी ने ऐसी स्थिति पैदा की है.

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